गुजरात सरकार ने 2021 में “Gujarat State Electric Vehicle Policy” लागू की जो यह वादा करती थी कि राज्य EVs को अपनाने में अग्रणी बनेगा, लेकिन India Electric Mobility Index (IEMI) 2024 की ताज़ा रिपोर्ट ने गुजरात की स्थिति को कुछ निराशाजनक रैंकिंगों के साथ दिखाया है। गुजरात को कुल मिलाकर सिर्फ 37/100 स्कोर मिला है, जबकि R\&D के लिए 46, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 44 और निजी EV अपनाने की दर के लिए 51। खासकर, वाणिज्यिक EV अपनाने में गुजरात का स्कोर महज़ 5 है, जो राज्य को इस श्रेणी में लगभग नीचे की पंक्ति पर रखता है।
EV बिक्री में गिरावट भी नजर आ रही है: 2024 में गुजरात में EV कारों की रजिस्ट्रेशन पिछले वर्ष की तुलना में करीब 25% कम हो गयी है – चार-पहिया वाहनों की संख्या घटकर लगभग 4,874 हो गयी, जबकि 2023 में यह 6,510 रही थी। मुख्य वजह बनी सब्सिडी का बंद हो जाना, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, वाहन की कुल लागत ज्यादा होना, और उपयोग में अनिश्चितता (range anxiety) जैसे कारक।
बहुत से विशेषज्ञों और विरोधियों का मानना है कि नीति तो उचित है लेकिन implementation कमजोर है। उदाहरण के लिए, राज्य सरकार ने EV रोड टैक्स को अप्रैल 2025 से 1% कर दिया है, लेकिन यह कदम मात्र एक वर्ष या उससे कम अवधि के लिए है और उससे पहले की सब्सिडी योजनाएँ धीरे-धीरे खत्म हो गयीं। इसके कारण उपयोगकर्ता अपेक्षित प्रोत्साहन नहीं पा रहे हैं।
R\&D (अनुसंधान एवं विकास) में भी आलोचना हो रही है कि गुजरात ने EV और इको- मोबिलिटी टेक्नोलॉजी के लिए पर्याप्त बजट या स्थानीय यूनिवर्सिटी/उद्योग सहयोग नहीं बढ़ाया। IEMI रिपोर्ट में R\&D स्कोर में Gujarat सिर्फ बीच-बीच में ही है, न तो शीर्ष पर और न ही निचले स्तर पर, लेकिन अपेक्षाएँ ज्यादा थीं क्योंकि राज्य के पास उद्योग बुनियादी ढाँचा और टेक्नोलॉजी कंपनियों की उपस्थिति अच्छी है।
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चार्जिंग स्ट्रक्चर (charging stations) की कमी प्रमुख बाधा बनी हुई है। गुजरात में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन बहुत कम हैं – संसद में दिए गए आंकड़ों के अनुसार राज्य में सिर्फ 27 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं जबकि EV की संख्या बढ़ी हुई है; इस असंतुलन ने निजी लोगों को EV लेने से हिचक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सुरक्षा और नियमों में कमी भी एक मुद्दा है: बेसमेंट पार्किंग में चार्जिंग सेटअप पर सुरक्षा चिंताएँ उठी हैं, क्योंकि कुछ EVs में आग लगने की घटनाएँ हुई हैं। इससे कई निवासियों ने निजी सोसाइटियों में चार्जिंग स्टेशन लगाने से डरना शुरू कर दिया है।
नीति विरोधियों का कहना है कि यदि नीति में दी जाने वाली सब्सिडियों, टैक्स राहत और अनुदानों को स्थायी बनाएं, charging infrastructure का विस्तार तेजी से करें, R\&D में निवेश बढ़ाएँ एवं नागरिकों को जागरूकता-कार्यशालाएँ आयोजित करें, तभी Gujarat की EV नीति सफल हो सकेगी।