2025 की शुरुआत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की सेकंड-हैंड मार्केट से चौंकाने वाली खबर आई है। हाल की रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्तेमाल की गई EVs (Used EVs) की कीमतें अचानक बड़ी गिरावट के साथ नीचे आ रही हैं। EV मालिक जो अपनी पुरानी कार बेचने की सोच रहे थे, उन्हें उम्मीद से कहीं कम कीमत मिल रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है कि नई EV टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आ रही है, जिससे पुराने मॉडल जल्दी outdated लगने लगे हैं। 2023-24 में लॉन्च हुए कई नए EVs बेहतर बैटरी रेंज, फास्ट-चार्जिंग और AI-based फीचर्स के साथ आए, जिसकी वजह से ग्राहक नई कारों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
दूसरा कारण है कि EV बैटरी की कीमतें लगातार घट रही हैं, और नई EVs अब पहले से कहीं सस्ती होने लगी हैं। जब नए मॉडल सस्ते मिल रहे हैं, तो इस्तेमाल किए गए EVs की resale value और नीचे चली जाती है।
तीसरा कारण है कि सरकार और प्राइवेट सेक्टर EV adoption को लेकर लगातार नए इंसेंटिव्स और सब्सिडी दे रहे हैं, जिससे ग्राहक सीधे नई गाड़ियां खरीदने को प्राथमिकता देते हैं।
कई मार्केट रिसर्च रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2024 के मुकाबले 2025 में सेकंड-हैंड EVs की कीमतों में औसतन 25-30% की गिरावट आई है। इसका मतलब है कि अगर किसी EV मालिक ने 20 लाख की इलेक्ट्रिक कार खरीदी थी, तो उसे इस्तेमाल के 2-3 साल बाद मुश्किल से 10-12 लाख ही मिल रहे हैं।
ऑटो एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले सालों में यह ट्रेंड और बढ़ सकता है, खासकर जब solid-state batteries और ultra-fast charging EVs का मार्केट में आना शुरू होगा। इससे पुराने EV मॉडल्स का आकर्षण और घट जाएगा।
हालाँकि, यह स्थिति नए EV buyers के लिए एक सुनहरा मौका है। कम कीमत पर सेकंड-हैंड EV खरीदकर लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों का अनुभव ले सकते हैं। लेकिन खरीदारों को ध्यान रखना होगा कि बैटरी की हेल्थ और वारंटी की स्थिति को अच्छे से चेक करें।
EV इंडस्ट्री में यह बदलाव इस बात का संकेत है कि टेक्नोलॉजी बहुत तेज़ी से बदल रही है और कारों का लाइफ-साइकल छोटा होता जा रहा है।
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