Honda ने जापान के लिए एक नई इलेक्ट्रिक kei कार पेश की है जिसकी शुरुआती कीमत 18,300 डॉलर रखी गई है। यह कार जापान के उस खास सेगमेंट को टारगेट करती है जहां कॉम्पैक्ट और हल्के वाहनों की मांग हमेशा से ज्यादा रही है। निसान और अन्य कंपनियों की kei EVs को चुनौती देने के साथ ही यह मॉडल 2009 में लॉन्च हुई Mitsubishi i-MiEV की विरासत को आगे बढ़ाता है, जिसे दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक kei कार माना जाता है। जापान की सड़कों और ड्राइविंग परिस्थितियों के हिसाब से छोटे आकार और बेहतर एफिशिएंसी वाले वाहन हमेशा लोकप्रिय रहे हैं, और Honda का यह नया कदम उसी परंपरा को मजबूत करता है।
यह लॉन्च जापान की स्थिरता और पर्यावरण नीतियों के अनुरूप है क्योंकि इसमें सर्कुलर इकॉनमी का कॉन्सेप्ट अपनाया गया है, जिसमें रिसाइकल्ड मटेरियल्स का उपयोग शामिल है। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लिथियम माइनिंग से जुड़ी चिंताएं अब भी बरकरार हैं। Earth.Org की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक लिथियम की वैश्विक मांग 0.5 मिलियन मेट्रिक टन से बढ़कर 3 मिलियन मेट्रिक टन तक पहुंच सकती है। यह आंकड़ा दिखाता है कि आने वाले समय में संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा, लेकिन Honda जैसे ब्रांड रिसाइक्लिंग और टिकाऊ उत्पादन प्रक्रियाओं के जरिए इस असर को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
Honda की यह कार इलेक्ट्रिक वाहनों के वैश्विक ट्रेंड से अलग है। जहां अमेरिका और यूरोप में बड़ी SUVs और लंबी रेंज वाली गाड़ियों पर ध्यान दिया जा रहा है, वहीं जापान हल्की और शहरी ड्राइविंग के लिए बनी कॉम्पैक्ट EVs को प्राथमिकता दे रहा है। जापान का इतिहास भी इस दृष्टिकोण का समर्थन करता है, क्योंकि 1960 के दशक तक kei कारों की अधिकतम स्पीड सीमा केवल 40 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई थी। ऐसे में Honda का यह कदम देश की ड्राइविंग परिस्थितियों और उपभोक्ताओं की वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
यह रणनीति साबित करती है कि हर देश का EV बाजार अलग ढंग से विकसित हो रहा है। Honda की नई इलेक्ट्रिक kei कार जापानी उपभोक्ताओं के लिए एक किफायती, टिकाऊ और शहरी जीवनशैली के अनुकूल विकल्प है, जो आने वाले समय में निसान और अन्य प्रतिस्पर्धियों को कड़ी टक्कर दे सकती है। यह मॉडल जापान की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के भविष्य की दिशा को भी दिखाता है जहां छोटी लेकिन स्मार्ट तकनीक वाली गाड़ियों का वर्चस्व हो सकता है।
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