अमेरिका में Donald Trump की नीतियां एक बार फिर चर्चा में हैं और इस बार फोकस है H1B Tech Fees पर। रिपोर्ट्स के मुताबिक, Trump प्रशासन H1B वीज़ा से जुड़ी फीस में बदलाव करने की योजना बना रहा है, जिससे टेक कंपनियों और खासतौर पर भारतीय आईटी सेक्टर पर बड़ा असर पड़ सकता है।
H1B वीज़ा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और कंपनियों के लिए बेहद अहम है। बड़ी संख्या में भारतीय इंजीनियर्स और सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट्स इसी वीज़ा के ज़रिए अमेरिका में काम करते हैं। अगर H1B Tech Fees बढ़ाई जाती है, तो इससे कंपनियों के लिए कॉस्ट बढ़ जाएगी और नए टैलेंट को हायर करना मुश्किल हो सकता है।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि Trump टीम H1B वीज़ा प्रोसेस को और सख्त बनाने पर विचार कर रही है। इसका सीधा मतलब है कि जिन कंपनियों का अमेरिका में बिजनेस मॉडल भारतीय टेक टैलेंट पर निर्भर है, उन्हें ज्यादा खर्च और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय आईटी कंपनियां जैसे TCS, Infosys, Wipro और HCL अमेरिका में बड़े स्तर पर प्रोजेक्ट्स हैंडल करती हैं। इन पर H1B Tech Fees का सीधा असर पड़ेगा। अगर फीस बढ़ाई जाती है तो कंपनियों की प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है।
टेक इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम से अमेरिकी कंपनियों को भी नुकसान होगा क्योंकि उन्हें योग्य टेक टैलेंट की कमी झेलनी पड़ सकती है। साथ ही यह पॉलिसी अमेरिका की टेक ग्रोथ को धीमा कर सकती है।
भारतीय सरकार और इंडस्ट्री बॉडीज़ भी इस मुद्दे पर नज़र रखे हुए हैं। उनका कहना है कि H1B वीज़ा सिर्फ भारतीयों के लिए ही नहीं बल्कि अमेरिका की टेक इकोनॉमी के लिए भी जरूरी है।
आख़िरकार, Trump H1B Tech Fees को लेकर चर्चा इस बात पर है कि क्या यह कदम वास्तव में अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करेगा या फिर टेक सेक्टर को ही नुकसान पहुंचाएगा। आने वाले समय में इस पॉलिसी के फैसले का असर न सिर्फ भारतीय आईटी कंपनियों पर बल्कि ग्लोबल टेक इंडस्ट्री पर भी दिख सकता है।
Read Also