Vietnam की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी VinFast ने भारत में अपनी पहली EV असेंबली और मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र (factory) Thoothukudi में स्थापित कर दी है। यह कंपनी का पहला प्लांट है जो वियतनाम के बाहर चालू हुआ है, और यह भारत में EV उद्योग के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
यह फैक्टरी लगभग 400 एकड़ में फैली हुई है जो SIPCOT इंडस्ट्रियल एस्टेट (Tamil Nadu) में स्थित है। इसके निर्माण में $500 मिलियन (लगभग ₹4,500-₹5,000 करोड़) की पहली अवधि की निवेश राशि शामिल है, जो अगले पाँच वर्षों के भीतर की जाएगी। और कुल निवेश लक्ष्य $2 बिलियन का है।
शुरुआत में यह प्लांट 50,000 वाहनों प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता से काम करेगा, और भविष्य में इसे बढ़ाकर 150,000 EVs प्रति वर्ष तक ले जाने की योजना है, जो मुनाफा और स्केल के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है।
इस फैक्टरी से दो मॉडल्स — VF6 और VF7 — पहले असेंबल होंगे। ये दोनों मॉडल प्रीमियम EV SUVs में आते हैं और भारत के ग्राहक-bazaar को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन और सुविधा के साथ पेश किए गए हैं।
ज़मीनी स्तर पर, इस परियोजना से 3,000-3,500 प्रत्यक्ष नौकरियाँ आने की उम्मीद है, और इसके आस-पास सप्लाई चेन और वेंडर नेटवर्क के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से और ज़्यादा रोज़गार बनने की संभावना है।
VinFast का उद्देश्य इस प्लांट को सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि South Asia, Middle East और Africa में निर्यात केंद्र (export hub) के रूप में विकसित करना है। इसके लिए कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर भी मिल चुके हैं जैसे कि नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस आदि।
वर्तमान में VinFast भारत के भीतर और बाहर भागीदारों (component suppliers) से वार्ताएँ कर रही है ताकि कई पार्ट्स का स्थानीय उत्पादन हो सके — इससे लागत कम हो सकती है, आपूर्ति सुदृढ़ होगी और आयात निर्भरता घटेगी।
संभावित प्रभाव और चुनौतियाँ
VinFast की इस फैक्टरी के खुलने से भारतीय EV बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी — कम्पनियों को संतुलित कीमतों, बेहतर सेवाओं और नए मॉडलों के साथ उतरना पड़ेगा। इससे ग्राहकों को वैरायटी और कीमतों में बेहतर विकल्प मिलेंगे।
लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं — पहला, लागत नियंत्रण: बिजली, बैटरी, सस्ते और टिकाऊ इनपुट्स की उपलब्धता, श्रमिक कौशल, लॉजिस्टिक खर्च आदि महत्वपूर्ण होंगे। दूसरा, बाज़ार की कीमत-संवेदनशीलता: भारत में EVs की मांग बढ़ी है लेकिन उपभोक्ताओं की सचेतता और बुनियादी सुविधाएँ (charging infrastructure, after-sales) अभी पूरी तरह नहीं है। तीसरा, नीति स्थिरता और सरकारी प्रोत्साहन: आयात शुल्क, इलेक्ट्रिक वाहन नीति, सब्सिडी आदि मामलों में स्पष्ट और दीर्घकालीन दिशा-निर्देश ज़रूरी होंगे।
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